एक और बात जो इस पुरे प्रकरण से निकल आयी है वो ये है कि केजरीवाल के खास कहे जाने वाले कुमार ने खुलेयाम ये आरोप लगाया है कि 'अरविंद केजरीवाल को चाटुकारों की मंडली घेरे है'. आपको याद होगा कुछ समय पूर्व योगेंद्र यादव ने भी ऐसे ही विचार रखे थे केजरीवाल के लिए जिसकी सजा उन्हें पार्टी से निकल कर दी गयी. कुछ दिन पूर्व ही विधायक 'वेद प्रकाश' ने भी यह कहते हुए पार्टी से स्तीफा दे कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वहीँ विधायक ने इल्जाम लगाया कि अरविंद केजरीवाल को कुछ लोगों ने घेर लिया है और वो सिर्फ उन्ही कि बात सुनते हैं उन्हें पता ही नहीं की पार्टी में क्या हो रहा है. अब जब बहुत सारे लोग एक ही बात को बोल रहे हैं तो इस बात को एक सिरे कैसे नाकारा जा सकता है. और ऊपर से खुद केजरीवाल ने अपने बदलते रवैये से अक्सर अपने तानाशाही होने का परिचय भी कराया है. सत्ता में आने से पहले जो काम करने का जज्बा और जूनून था वो गायब है और है तो सिर्फ और सिर्फ अपनी महिमा मंडान.
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दरकता 'आप' से विश्वास- आत्ममुग्धता से बाहर आएं केजरीवाल - Aam Admi Party After MCD Election |
हालाँकि दिल्ली की जनता ने तो 2015 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के नए वादे फ्री वॉइ- फाई और मुफ्त बिजली पानी के नारे के साथ सत्ता की चाबी सौंप दी है . खास बात ये थी कि दूसरी बार केजरीवाल को सरकार बनाने के लिए किसी की मदत की भी जरुरत नहीं थी. लेकिन इतनी बड़ी सफलता को केजरीवाल सिर्फ अपनी सफलता मान बैठे है, उन्हें लगता है कि लोग उनके चेहरे को देख कर वोट देते हैं. वैसे अभी -अभी संपन्न हुए गोवा और पंजाब के चुनाव के नतीजे जितने निराशाजनक निकले उससे सबक लेने की बजाय केजरीवाल अभी भी और राजनीतिक पार्टियों की तरह ही परम्परागत राजनीति करने में ज्यादा विश्वास दिखा रहे हैं. जैसा की सब जानते हैं पंजाब में केवल 20 सीटें मिलीं वहीँ पार्टी ने गोवा में खाता भी नहीं खोला. दिल्ली में मिली सफलता को दुहराने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी ने इन दोनों राज्यों में खूब हाँथ -पांव मारे लेकिन जनता इतनी बेवकूफ नहीं है लोगों को पता है कि दिल्ली वालों के दिल खोल कर वोट देने के बावजूद केजरीवाल पुरे टाइम प्रधानमंत्री और दिल्ली के गवर्नर के खिलाफ दोषारोपण किये हैं या आपराधिक मामलों में अपने विधायकों का बचाव करते रहे हैं. लोगो वो दिन कैसे भूल सकते हैं जब केजरीवाल कहते थे कि 'वो राजनीति की गन्दगी को साफ करने के लिए कीचड़ में उतरे हैं'. गन्दगी साफ करना तो दूर दिल्ली में इन्हीके विधायकों ने गंध मचा रखा है सोमनाथ भारती से लेकर संदीप कुमार, दिनेश मोहनिया, या फिर धर्मेन्द्र सिंह कोली हो किसी न किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार के मामले में फंसे और केजरीवाल उनके बचाव में उतरे.
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दरकता 'आप' से विश्वास- आत्ममुग्धता से बाहर आएं केजरीवाल - Aam Admi Party After MCD Election |
अगर ऐसा ही था तो पुरानी पार्टियां क्या बुरी थीं, 'आप' में ऐसा क्या खास है. केजरीवाल को नहीं भूलना चाहिए कि उनकी पार्टी की असली पहचान क्या है जनता ने उन्हें रातों -रात सिर आँखों पर क्यों बैठाया है. महज दो- चार साल में ही पार्टी अपना वजूद खो देगी ऐसा अनुमान लगाना कठिन था, लेकिन ताजा मामलों से तो ऐसा ही लग रहा है. 'आम आदमी पार्टी' सिर्फ नाम की आम है लेकिन गौर करेंगे तो पाएंगे कि इस पार्टी में वही लोग हैं जो अन्य पार्टयों में नहीं जा सके. और ये लोग वही राजनीति कर रहे हैं जो दूसरी पार्टियां करती है और जिसकी निंदा अक्सर केजरीवाल करते हैं. खैर अब जब चारों तरफ हाँथ -पैर मारने के बाद केजरीवाल को अपनी लोकप्रियता का अंदाजा लग चूका है तो उम्मीद करते हैं कि उनको दिल्ली वालों की क़द्र समझ में आनी चाहिए. और अभी भी बचे हुए तीन सालों में इन्होंने गंभीरता पूर्वक काम नहीं किया तो निःसंदेह आने वाला विधानसभा चुनाव केजरीवाल और इनकी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा. और तब वाकई दुःख की बात होगी जब देश को तीसरे विकल्प का सपना दिखा कर आम आदमी पार्टी यूँ हासिये पर आ जायेगी. एक बात और केजरीवाल को समझना चाहिए कि आपकी चापलूसी करने वाले कभी भी आपको सही रास्ता नहीं दिखाएंगे, इसलिए कुछ अप्रिय बोलने वालों को भी साथ रखें जिससे सही -गलत का फर्क समझा जा सके. वैसे भी कहा गया है कि ... "निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय"
- विंध्यवासिनी सिंह
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