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Social Media Trolling : Article In Hindi |
तेजी से बदलते तकनीकि और इन्टरनेट की सुविधा ने आज सबको टेक -सेवी बना दिया है, मतलब गांव हो या शहर आज सभी के हांथों में स्मार्ट फ़ोन की उपलब्धता आसानी से देखा जा सकता है. अब जब स्मार्ट फ़ोन है तो इन्टरनेट तो होगा ही वैसे भी तमाम कंपनिया इन उपभोक्ताओं को ध्यान में रख कर सस्ते इन्टरनेट प्लान लांच कर रही है. और ज्यादारतर लोग इन्टरनेट का इस्तेमाल सोशल मिडिया के रूप में करते हैं. यानि कि फेसबुक और ट्विटर पर समय बिताते है. आप इसी से अंदाजा लगा लीजिये कि भारत की सवा अरब जनसंख्या में लगभग 70 करोड़ लोगों के पास फ़ोन हैं. इनमें से 25 करोड़ लोगों की जेब में स्मार्टफ़ोन हैं. 15.5 करोड़ लोग हर महीने फ़ेसबुक आते हैं और 16 करोड़ लोग हर महीने व्हाट्सऐप पर रहते हैं. आलम ये है कि आज कल लोग एक दूसरे से मिलने जुलने के बजाय फेसबुक पर हाय- हेल्लो करना ज्यादा पसंद करते हैं. अब जब सोशल मिडिया की बात हो ही रही है तो सोशल मिडिया में एक शब्द "ट्रोल" आजकल चर्चा में बना हुआ है. क्या होता है ट्रोल आज हम जानने की कोशिश करेंगे.
सोशल मिडिया पर 'ट्रोलिंग'- जब कोई बड़ी हस्ती या कोई भी व्यक्ति सोशल मिडिया पर कुछ ट्वीट करता है तो कुछ लोग या कभी कभी बड़ी तादात में लोग उसके खिलाफ बोलने या रीट्वीट करने लगते है, सोशल मिडिया के भाषा में इसे 'ट्रोल' कहते हैं और जो लोग ऐसा करते है उन्हें 'ट्रोलर' कहा जाता है. अभी हाल ही में ट्रोलिंग का सबसे बड़ा उदाहरण है गुरमेहर कौर का, जिन्होंने अपने ट्विटर पर एक पोस्ट डाली थी और लिखा था कि "मेरे पिता को पाकिस्तान ने नहीं बल्कि जंग ने मार है" इस बात के लिए गुरमेहर कि जबरदस्त ट्रोलिंग हुयी. हालाँकि कुछ बड़ी हस्तियों के सपोर्ट में आने के बाद लोगों ने ट्रोलिंग बंद कर दी, लेकिन एक सवाल खड़ा कर दिया कि कैसे पलक झपकते एक छोटी सी बात लाखों -करोड़ों के बीच सामिल हो गया. ऐसा रोजमर्रा के कामों में लगे लोगों का तो नहीं हो सकता, तो क्या इसके पीछे प्रोफेसनल लोगों का हाथ था?. जी हाँ उपरोक्त आंकड़ों से हम आसानी से अंदाजा लगा सकते है कि सोशल मिडिया का क्रेज किस तरह हमारे देश में कायम है और इस क्रेज को भुनाने वालों की कमी नहीं है. आप देख सकते हैं कि राजनीति जैसे क्षेत्र में भी अब पारंपरिक तरीकों के अलावा सोशल मिडिया का जोरदार इस्तेमाल हो रहा है. लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां अपना कैम्पेन सोशल मिडीया पर चला रही हैं. अब ऐसे में सोशल मिडिया का व्यवसायीकरण होना लाजमी है.
ट्रोलिंग राजनीतिक दल और बड़े लोगों का मुख्य खेल - जब से इस बात की चर्चा हुयी है कि नरेंद्र मोदी की जीत में सोशल मिडिया का अहम् रोल है तब से हर नेता की दिलचस्पी बढ़ी है सोशल मिडिया में. जहाँ कुछ लोग इस माध्यम पर अपना प्रचार करते हैं तो वहीँ कुछ लोग अपने विरोधियों की खिंचाई के लिए इस माध्यम का उपयोग करते हैं. अब हर छोटे बड़े नेता का सोशल मिडिया अकाउंट प्रोफेसनल लोगों के द्वारा अपडेट कराया जा रहै है. जो देखने में लुभावन तथा अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने वाला होता है. तो वहीँ अगर नामचीन हस्तियों की बात करें तो ये लोग अपनी पोस्ट को वायरल करने उस पर रिट्वीट कराने, अपने फॉलोवर्स की संख्या बढ़ाने के लिए सोशल मिडिया का इस्तेमाल करते हैं. यहाँ तक कि विवादित पोस्ट डालकर ट्रोल करवाई जाती है ताकि लोकप्रियता मिले और बंदा चर्चा में बना रहे.
समाज पर असर - सोशल मिडिया पर चल रहे ट्रोलिंग का गेम आम आदमी के समझ में नहीं आती. और फिर जब कभी देश भक्ति, पार्टी भक्ति या समाज में घटित होने वाली किसी घटना को बढ़ा- चढ़ा कर वायरल किया जाता है तो ज्यादातर लोग इसके झांसे में आ जाते हैं. और देखते ही देखते समाज एक अलग धारा में मुड़ जाता है जहाँ खुद की सोचने और समझने कि क्षमता काम नहीं करती और जो सामने वाला दिखाता है लोग उसी की भाषा बोलने लगते हैं. इस तरीके से हम कह सकते हैं कि सोशल मिडिया के माध्यम से आसानी से समाज में द्वेष और नफरत फ़ैलाने का काम किया जा सकता है. हालाँकि तमाम सोशल साइट्स फ़िल्टर के द्वारा ऐसी चीजों को रोकने का प्रयास करती हैं मगर फिर भी इनको रोक पाना आसान नहीं है . इस दिशा में अभी अत्यधिक कार्य करने की जरुरत है.
इसलिए अगली बार जब आप किसी मुद्दे पर अपनी राय रख रहें तो काफी सोच -विचार कर ले. ताकि भाड़े के सोशल मिडिया ट्रोलर आपको अपने जल में ना फंसा ले. एक बात और हम सब को ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कमेंट या सोशल एक्टिविटी से समाज की एकता और अखंडता पर बुरा असर नहीं पड़ना चाहिए.
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