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रूस की रणनीति में फंसता भारत -Russia India Relations |
जैसा की सभी जानते हैं कि भारत और रूस के बीच सम्बन्ध हमेशा से ही मधुर रहे हैं, लेकिन इधर कुछ समय से रूस का दोस्ती भरा हाथ पाकिस्तान के तरफ बढ़ता देख भारत के माथे पर लकीरें खींचना स्वाभाविक है. भारत के लिए स्थिति और चिंता जनक हो गयी है जब से पाकिस्तान और रूस की सेनाओं ने साँझा सैन्याभ्यास किया है जिसको 'फ्रेंडशिप 2016' का नाम दिया गया है. इस सैन्याभ्यास के द्वारा दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों का स्पष्ट सन्देश देने का प्रयास भी किया गया है. इसके बाद भारत का तनाव में आना लाज़मी है, क्योंकि पाकिस्तान जैसे आतंक को पोषित करने वाले देश के खिलाफ जहाँ भारत समूचे विश्व के समक्ष उसे अलग -थलग करने की कोशिस कर रहा है वहीँ पहले चीन का समर्थन और अब रूस का झुकाव सच में सोचने का विषय है. कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान और रूस बीच 14 दिसंबर को इस्लामाबाद में हुआ द्विपक्षीय वार्ता हई थी, और आपको बताते चलें कि यह पहला मौका है जब इन दोनों देशों के बीच बातचीत हुई है. मिली जानकारी के अनुसार इस मीटिंग में कई क्षेत्रीय मुद्दों और आपसी हितों से जुड़े मामलों तथा इसके अलावा आर्थिक सहयोग एवं संपर्क पर भी बात हुई.
इसके साथ ही दोनों पक्षों के बीच 2017 में मॉस्को में वार्ता आयोजित करने का भी फैसला लिया गया है. अभी यही तनाव काम था कि रूस चीन तथा पाकिस्तान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (IS) के खिलाफ एकजुट हो गया है. भारत को अलग रखते हुए तीनों देशों ने IS के खिलाफ इस अभियान में तालिबान को इस्तेमाल करने का फैसला किया है. गौर करने वाली बात ये है कि भारत हमेशा से ही कहता रहा है कि अफगानिस्तान में सबसे बड़ा खतरा तालिबान से है. ऐसे में भारत किसी भी हाल में इस घटनाक्रम को सहमति नहीं देगा, और तो और इस कदम से अफगानिस्तान में पाकिस्तान कि स्थिति मजबूत होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
रूस की ये रणनीति स्पष्ट है जैसे -जैसे भारत अमेरिका के करीब जा रहा है वैसे ही रूस भी पाकिस्तान के करीब जा रहा है. अब ये भारत के लिए परीक्षा की घडी है कि कैसे वो अमेरिका के साथ सम्बन्ध बेहतर रखे और अपने सबसे पुराने और सहयोगी देश रूस के साथ संबंधों पर भी आंच न आने दे. हालाँकि भारत और रूस के बीच लगभग 60,000 करोड रुपए की लागत के तीन बड़े रक्षा सौदों कि डील हुयी है जिसमें सर्वाधिक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली की खरीद भी शामिल है. साथ ही दोनों देशों ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों से निपटने के मामले में भी एक दूसरे का समर्थन करते हैं. बावजूद इसके रिश्तों में गर्माहट कम हुयी है.
ये सच है कि भारत लगातार कोशिश कर रहा है कि उसे दुनिया की प्रमुख ताकतों का समर्थन हासिल हो. इसी के अन्तर्गत अमेरिका के तरफ बढ़ते कदम भी हैं. मगर इस सबके साथ ही हमें इसका भी ख्याल रखना होगा कि चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधी देश हमारे खिलाफ घेराबंदी न करे. और अभी की स्थितियों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हमारे खिलाफ चीन-रूस और पाकिस्तान की एक धुरी तैयार हो रही है.
जैसा की पाकिस्तान ने कई बार युद्ध की धमकी दे रहा है भले ही झूठी ही सही लेकिन एक बात तो सच है की हमारे देश में लगातार हो रहे हमलों से हमें चौकन्ना रहना होगा. इसी कड़ी में रूस का पाकिस्तान के तरफ झुकाव इसलिए भी बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि हमारे अधिकतर रक्षा उपकरणों की तकनीक रूस की ही दी हुई है. और अब पाकिस्तान के नजदीक होने का मतलब है की हमारे हमारे सुरक्षा उपकरणों की बराबरी. हालाँकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अच्छे सम्बन्ध है. और दोनों बेहद गर्मजोशी से मिलते हैं फिर भी पाकिस्तान की तरफ झुकाव का मतलब है भारत से दुरी. आपको याद होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुतिन के साथ जाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात शुरू करते हुए एक रूसी मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि ‘एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है'
लेकिन भारत को भी इस मुहावरे पर विचार करने की जरुरत है वार्ना अमेरिका के साथ रिस्ते बनाने के चक्कर में रूस से रिस्ते में दरार न पड़ जाये.
-विंध्यवासिनी सिंह
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